ग्रेगर जॉन मेंडल को आनुवंशिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने मटर के पौधों पर प्रयोग करके आनुवंशिकता के नियमों को स्थापित किया। उनके मुख्य योगदानों में प्रभाविता का नियम, पृथक्करण का नियम, और स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम शामिल हैं।
मेंडल के आनुवंशिकता के नियम:
- जब दो विपरीत लक्षणों वाले पौधे (जैसे, लंबा और बौना) संकरण करते हैं, तो F1 पीढ़ी में केवल प्रभावी लक्षण (जैसे, लंबा) दिखाई देता है, और अप्रभावी लक्षण (जैसे, बौना) छिप जाता है।
- प्रत्येक लक्षण के लिए, एक जीव में दो एलील (विकल्प) होते हैं, जो युग्मक (स्पर्म और अंडाणु) बनने के समय अलग हो जाते हैं, और प्रत्येक युग्मक को केवल एक एलील प्राप्त होता है।
- यह नियम बताता है कि विभिन्न लक्षणों के लिए एलील एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से वंशागत होते हैं, और वे किसी भी संयोजन में संतानों में जा सकते हैं।
मेंडल के प्रयोग:
मेंडल ने मटर के पौधों को चुना क्योंकि वे कई कारणों से अध्ययन के लिए उपयुक्त थे:
- मटर के पौधों में कई स्पष्ट रूप से भिन्न लक्षण थे, जैसे कि पौधे की लंबाई (लंबा या बौना), बीज का रंग (हरा या पीला), बीज का आकार (गोल या झुर्रीदार), आदि।
- मटर के पौधों को आसानी से संकरणित किया जा सकता था, और वे स्व-परागण भी कर सकते थे।
- मटर के पौधों की कई पीढ़ियाँ कम समय में प्राप्त की जा सकती थीं, जिससे प्रयोगों में तेजी आई।
मेंडल ने इन लक्षणों का उपयोग करके संकरण प्रयोग किए और इन नियमों को स्थापित किया। उनके काम ने आनुवंशिकता की समझ में क्रांति ला दी, और आज भी आनुवंशिकी के क्षेत्र में उनका बहुत महत्व है।

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